कंगाल हो चूका हूँ;
बंजारा भटक रहा हूँ बाज़ार में
नज़र झुका कर,
एक नोट तो मिल ही जायेगा !
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Author: vibhuist
Physics Junior. Literature. View all posts by vibhuist
कंगाल हो चूका हूँ;
बंजारा भटक रहा हूँ बाज़ार में
नज़र झुका कर,
एक नोट तो मिल ही जायेगा !